
” डोम में ॐ”
हमरे डाला पनपथिया सँ देवतो पित्तर पूजाई छै
कहु यौ बाबु तैयो हमर देह किया छुवाइ छै।
हमरे छुवाइल आइग बत्ती स आरम्भ सुद्ध आँ स्वर्ग जाईछै
त, कहु यौ बाबु भैया हमर जाईत आ समाज किया छुवाइ छै।
जल,वायु, आकाश, पृथ्वी, अगनी, ज्ञान भगवान सबके लागी बराबर छै,
त, कहु यौ बाबु भैया हमर एगो नाम स इ सबमे किया विभेद छै।
हमरे आइग देला स ३६करोड़ देवता पूजाई छै,
त, कहु यौ बाबु भैया हमर नाम स देवता केना क छुवाइ छै।
हमरे कला, कृति, शिप, श्रम स इ नगर गाम जनक जी क जनकपुर सीता मैया क मंडप सजबै छै,
त, कहु यौ बाबु भैया इ कला श्रम शिप के हात हमर जाईत आ समाज किया छुवाइ छै।
डोम मे भगवान शिवजी के ओम् छै, आँ चण्डाल मे माता देवी चंडेश्वरी दुर्गा छै,
त, कहु यौ बाबु भैया इ जाईत चण्डाल डोम केना क छोट आ छुवाइ छै।
सब जिव जन्तु के शरीर बनल छै पंच तत्व से, हम्रो देह बनल छै वही पंच तत्व से,
त, कहु यौ बाबु भैया इ पंच तत्व मे किया विभेद छै
(धीरेंद्र प्रेमर्सी के कविता स प्रेरित .
ई हमर छोट रचना दलित समाज के प्रति बीभेद के विरुद्ध में।)
-संजय “क्रांन”




